दीवानगी
******** दीवानगी ********
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हम तेरे बिन कहीं रह नहीं पाए
रह ना पाएं कहीं जी नहीं पाएं
तेरा मेरा मिलन सदियों पुराना
जमाना हमें जुदा कर नहीं पाए
जीवन में आए हो बहार बन के
हवा का झौंका हिला नहीं पाए
तेरे लिए ही मेरा दिल धड़ के
धड़कनें कभी भी रुक नहीँ पाए
शाम सवेरे तुम्हें अखियाँ निहारें
तुम मेरा दर्पण टूट नहीं पाए
मेरे जीवन की तुम जीवंत रेखा
स्वर्णिम पल कोई रह नहीं पाए
मेरे सुपनों का तुम्ही आधार हो
सहारा तुम्हारा छूट नहीं पाए
याराना तुम्हारा निर्जर से प्यारा
याराना हमारा टूट नहीं पाए
सुखविन्द्र दीवानगी में है डूबा
खुमारी तुम्हारी उतर नहीं पाए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)