दीवानगी का असर
** दीवानगी का असर **
********************
तेरी दीवानगी का असर
ख़िदमत ए नजराना नजर
तेरे आने से बहार है आई
गया है सुनहरा वक्त ठहर
दुनियादारी को भूले बैठे
यह हुआ तेरे प्यार में हसर
दिन हुआ हसीन निशा सा
चाँद आया है दिन में नजर
रात भर तारे चमकते रहे
प्रभात में भी देखी है कसर
ढूंढता रहा जिसे ख्वाबों में
हकीकत में सामने है मुखर
मेघों से संकट मंडराते रहें
बहुत मुश्किल है प्रेम डगर
मनसीरत है खोया सा लगे
आशिकी में लगे सूना नगर
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)