दीया और बाती
तुझ से प्रीत क्या जोड़ी मैंने
सारी दुनिया भूल चुकी हूं ।
सुबह शाम की खबर नहीं
अब ध्यान में तेरे डूब चुकी हूं ।
आईने में भी तू दिखता है,
परछाई बन संग चलता है ।
तन्हाई भी भाती अब तो
साथ मेरे जो तू रहता है ।
दीया या बाती सा रिश्ता अपना
धूप छांव सा जीवन अपना ।
हर कदम पर साथ रहे हम
जनम जनम का नाता अपना।
लक्ष्मी वर्मा ‘ प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा ।