दीमक रानी(बाल कविता)
बाल कविता: दीमक रानी
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दीमक रानी बोली
गूगल भैया तुम्हें बधाई
सिर्फ तुम्हारे कारण
अब पुस्तक से नहीं पढाई।।
रखी पुस्तकालय में रहतीं
अब अनछुई किताबें
घोर उपेक्षित अपमानित हैं
अब जादुई किताबें।।
सिर्फ रात दिन मैं उनकी
संगी-साथी कहलाती
मेरा प्रिय भोजन है पुस्तक
खूब मजे से खाती।।
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रचयिता ः रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451