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23 Apr 2022 · 1 min read

“दीप जलाओ प्यार का”

दीप जलाओ प्यार का,
सद्भभावना, सदाचार का,
न हो किसी का अन भला,
न साथ किसी के अत्याचार।

वक्त के शिकंजे में ,
हर कोई बंधा है यहां,
दिन-रात सबका एक है,
कोई शेष नहीं रहा यहां।

पाप से दूर रहोगे तो,
पाप नहीं होगा कभी,
सीने पर हाथ रखकर चलोगे ,
धोखा नहीं होगा कभी।

इतने भी मगरुर न हो जाएं,
अपनो को पहचान न पाएं,
कितने होंगे ऐसे भी जिन्हें,
तंज लगती होगी मेरी कविताएं।

सम्बन्धों का दीवार न ढहने पाए,
रिश्तों में दरार न पड़ने पाए,
इतना निश्छल हो प्रीति हमारे,
कि विश्वास की दर न घटने पाए।।

स्वरचित काव्य- राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
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