दीप की प्रतिज्ञा
अपनो का सहारा पाकर नया रूप ले रहा हूं
हो जाय जगमग जहां मेरा खुशी से बन रहा हूं
बलिदान मुझे होना है आग मे तप रहा हूं
जलूंगा पहले आग मे तब दीप बन रहा हूं।
प्रण है अंधेरे से लडने का खुद जलकर प्रकाशित हो रहा हूँ ।