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2 Nov 2021 · 1 min read

दीप ऐसा सभी मिल जलाओ कभी।

गज़ल – (दीपावली)
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212…….212……212……212

दीप ऐसा सभी मिल जल़ाओ कभी।
देश दुनियाँ से तम को भगाओ कभी।

है उजाला सभी ओर क्या फायदा,
जो अँधेरा है अंदर हटाओ कभी।

मुफ़लिसों के घरों में उजाला करो,
उनके घर को भी खुशियाँ दिखाओ कभी।

देश की माटी से जो बनाते दिए,
लेके घर उनके भी जगमगाओ कभी।

आसमाँ से अँधेरे हटाते रहे,
चाँद सूरज जमीं पर भी लाओ कभी।

आते जाते रहे हैं अँधेरे सदा,
जाके आएं न ऐसे भगाओ कभी।

प्रेम का है ये त्योहार ‘प्रेमी’ बनो,
दीप खुशियों के दिल में जलाओ कभी।

……✍️ प्रेमी

1 Comment · 164 Views
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