दीपौं का दीवाली त्योहार
दीपों का दीवाली त्योहार
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कोना कौना है गुलजार
दीपों का दीवाली त्योहार
गली मोहल्ले रौनक आई
खिला खिला सा है बाजार
शशि सी आभा हो चमके
शीत शालीन हो व्यवहार
घर घर धन का वर्षण हो
खुशियों की खिले बौछार
बाल, प्रौढ या हो जवान
उमंगों का लगा हो दरबार
फुलझड़ियाँ हो या पटाखे
शोर शराबे की हो भरमार
जैसे नभ में चमके सितारे
नन्हें मुन्नों का बजे सितार
ना हो कोई गंभी गमगीन
फले और फूले कारोबार
कहीं भी कोई न हो मंदी
मुनाफ़ों का मिले उपहार
चहुंओर हो जाए उजाला
प्रकाश का तम पर प्रहार
उपवन पुलकित हर्षित हो
फूलों का सभी पहने हार
रिश्ते नाते हो प्रफुल्लित
पारस्परिक मेल सरोकार
लक्ष्मी उपासना हो संपूर्ण
भूखा प्यासा न हो संसार
दीपमाला हो निलय द्वार
मनोकामनाएं हों पूर्ण पार
मनसीरत भावुक मन कहे
मुबारक दीवापली त्योहार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)