मिट्टी के दीए
दीपों से सजी अमावस की रात,
सुन्दर रंगोली और झालरों के साथ,
थालियों में सजी स्वादिष्ट पकवान,
दीवाली लाती परिवारों को साथ।
कहीं फुलझडियां तो कहीं गगन चूमते पटाखे,
बच्चे कभी डरते तो कभी खिलखिलाते।
सितारें इस रात धरती पर उतर आते,
हर घर फूल और धूप की खुशबू से महक जाते।
इस बार मिट्टी के दीयों से अपना घर सजाओ,
दीपों के त्यौहार को पारंपरिक तरीके से मनाओ,
खरीद कर उनसे मिट्टी के दीये,
उनकी चेहरे पर खुशियों की वजह बन जाओ।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड ओड़िशा।