दीपावली
दीप जैसे आप जगमगाते रहे
जीवन का हर तिमिर मिटता रहे
हर दिन नई फसलों की तरह लहलहाता रहे
हर रात उत्सव की फुलझड़ियां खिलती रहे
अधरों से मीठी मुंन्हार फूटती रहे
आँचल भर भर खुशियां आती रहे
बस इतनी सी ख्वाहिश है शकुंतला की
वसुधा के हर घर में बनती रहे दीपावली
©®@शकुंतला
फैज़ाबाद