दीपावली
दीपावली
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दीपावली यानि
अखबार में दीए बांधती कुम्हारिन के हाथों में लगा मिट्टी का लाल रंग !
कच्ची सड़क किनारे खिंची चूने की आड़ी-तिरछी पंक्तियां !
सुर्रसुर्र कर पानी पीते दीए से आती सौंधी गंध !
दुकान पर सजीे मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की सबसे चटकीली जोड़ी!
फुलझड़ी से चटचट की आवाज़ कर निकली पहली चमकीली चिंगारी !
आँगन में फुस्स पड़े पटाखे से उठता धुआं !
रसगुल्ले के बीच से निकला इलायची का दाना !
कचौड़ी का वो कुरकुरा सा किनारा !
काजू कतली का आखिरी बचा टुकड़ा !
पलकें झपकाता बिजली की झालर के बीच जलता सबसे तेज़ बल्ब !
खांड के खिलौने में फँसा खील का एक दाना !
आखिरी बचे उपहार में निकला सोनपपड़ी का डिब्बा!
रंगोली के बीच का सबसे चटकीला फूल !
‘श्योरती’ पर लगे पान पर चमकता चाँदी का सिक्का !
बुझते दीए की वो आखिरी सांसे भरती तेजी से फड़फड़ाती लौ !
आसमान से नीचे आता राकेट की रौशनी का वो आखिरी कतरा !
और अगली सुबह दीए में जमा बाती की वो कालिख जो हर परिवार को बुरी नज़र से बचा जाती है !
बस इत्ती सी ही तो रह जाती हैं न , हर साल दीवाली की यादें !
#शुभ_दीपावली
~Sugyata
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