दीपावली (बाल कविता)
दीपावली(बाल कविता)
“”””””””””””””””””””””””””
एक दिवस चन्दा-सूरज ने
धरती को ललकारा,
बोले बिना हमारे
कैसे भागेगा अँधियारा
घोर अमावस हो जाएगी
तो हमको मानोगे,
केवल हम लाते उजियारा
तब तुम यह जानोगे
सुनकर धरती ने मिट्टी से
सुन्दर दीप बनाया,
अनगिन दीप जला
दीपों वाला त्यौहार मनाया
तब से दीपावली
सुनो हर साल मनाई जाती,
घोर घमंडी चंदा-सूरज को
नीचा दिखलाती ।।
“””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451