दीपावली पर्व
दीप शिखाओं का उत्सव हैं
प्रकाशपुंज का दीपोत्सव है
जन खुशियों का यह प्रतीक
दीवाली का पावन है त्योहार
कार्तिक मास अमावस्या में
आता सर्दी की शुरुआत में
उपहारों का आदान प्रदान
दीवाली का पावन है त्योहार
चौदह वर्ष काट कर वनवास
रामचन्द्र लौटा अयोध्या वास
श्री राम स्वागत आवाभगत में
घी के दीपक जलाए उस वार
जगमग जगमग दीप जलें हैं
छोटे बड़ों के हैं दिल खिलें हैं
मिष्ठानों से भंडार भरे हुए हैं
दीवाली का पावन हैं त्योहार
तमस पर प्रकाश की जीत है
सदियों से चल रही ये रीत है
बुराई को अच्छाई से मिटाए
दीवाली का पावन है त्योहार
दशहरे बाद दीवाली है आती
घर आंगन साफ सफाई होती
रंग रोगन से है सजाया जाता
दीवाली का पावन है त्योहार
दुल्हन भांति महिलाएं सजती
घर द्वारों में है रंगोलियाँ बनती
नये नवेले सब हैं वस्त्र पहनते
दीवाली का पावन है त्योहार
पटाखे बहुत ही चलाये जाते
गीत खुशी के खूब गाए चाते
रात्रि होता फिर लक्ष्मी पूजन
दीवाली का पावन है त्योहार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत