दीपमालिका चमके
अंत:दीप जले
अंतर्मन हुलसे,
अंधियारे का अंत
अंतर्द्वन्द सुलझे।
दीपमालिका चमके
आलौकिक ज्योति जले
जड चेतन ब्रम्हाण्ड तले,
शुद्ध भाव जागे
आत्मदीप जले।
दीपमालिका चमके
प्रसन्नता के फूल
मिटे राहों के शूल,
जीवन हो तरंगित
मन जाए झूल।
दीपमालिका चमके
दया करूणा जागे
हिंसा वैमनस्य भागे,
कर्तव्यनिष्ठ प्राणी
पथ पर रहे आगे।
दीपमालिका चमके
आत्मनिर्भर रहें
समर्थवान बने,
हो देने की चाह
अपना कूप खने।
दीपमालिका चमके
सहयोग सभी से
मेल बढे इसी से,
श्रेष्ठ सभी कम न कोई
संतुष्टि सुख इसी से।
दीपमालिका चमके
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
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अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297