दीपक जलाते रहें…
दीप जलते रहें जगमगाते रहें
हर बरस उत्सव के पल आते रहें!
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मिट्टी के दीये पटाखों की झड़ी
हमेशा मन को खिलखिलाते रहें!
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दुकानों की चमक राहों की दमक
जलेबियों की मिठास आते रहें!
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आपसी सौहार्द खुशियाँ अपार
मिलजुल प्रकाश पर्व मनाते रहें!
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रूठे ना कोई अपना टूटे न कोई सपना
दिलों में ऐसा प्रेम जगाते रहें!
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फैले चहुँ ओर यश कीर्ति ऐसे
जैसे धरा और गगन लुभाते रहें!
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सुख-दु:ख तो उत्सव है जीवन का
बिन ढिढके इनको गले लगाते रहें!
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आलोकित हो जाए ऐसे संसार(मन)
चन्दा तारे भी देखकर मुस्कुराते रहें!
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कमी पूरी नहीं होती कुछ रिश्तों की
हर साल उनके नाम का दीपक जलाते रहें!
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प्रकाशपर्व की मंगलमयी शुभकामनाएँ…..
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शालिनी साहू
ऊँचाहार,रायबरेली(उ0प्र0)