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10 Oct 2020 · 1 min read

दीपक एक जलाकर देखो

दीपक एक जलाकर देखो
ये अंधियार मिटाकर देखो

अपने पास बुलाकर देखो
औ’र इक बार मनाकर देखो

शायद राज़ी अब हो जाये
और उसे समझाकर देखो

ये भी जीत तुम्हारी होगी
उसको आज जिताकर देखो

ये तो पक्का वो पिघलेगा
उसको हाल सुनाकर देखो

पीछे-पीछे दुनिया होगी
वो किरदार बनाकर देखो

हिम्मत कर लो इतनी पैदा
ख़ुद से आँख मिलाकर देखो

वो सुनता है सुन ही लेगा
सर इक बार झुकाकर देखो

रोता बच्चा जो मिल जाये
उसको आज हंसाकर देखो

दुनिया को सचमुच जीतोगे
सबसे हाथ मिलाकर देखो

दुनियादारी कब सीखोगे
सबके साथ निभाकर देखो

– डॉ आनन्द किशोर

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