दीदी तेरा देवर
बहना सुनो देवर तुम्हारा,बहुत ही शेखीबाज़ है।
दिखता है सीधा सादा मगर अलग उसका अंदाज है।
अलग ही है राग, उसका अलग ही सुन साज़ है।
मुझे डालता है दाना बहना, वो पक्का चिड़ीबाज़ है।
करता है इशारे मुझे,न उसे शर्म और लाज है।
इतराता है वो यों कि जिवें ओदे प्यो दा राज है।
सीटी बजाता है कभी ,देता मुझको आवाज है।
उसकी इन्हीं हरकतों से नीलम नाराज़ हैं।
वादों को वो रोज़ तोड़ता,वो तो द़गाबाज है।
मीठी बातों में है फंसाता,बड़ा जालसाज है।
नीलम शर्मा