दीदार
यादो के सहारे जीवन मेरा
पल पल बीता जाये
तेरे दीद को तरसे अखियाँ मेरी
पर तुम ना कभी फिर आये
मेरी खता थी क्या मुझे पता नहीं
तुम आके बता तो जाना
कभी बैठ के पल भर बाते करते
दर्द बता तो जाना
आँखे रोती रहती है मेरी
अब कौन मुझे समझाये
तेरे दीद को तरसे…
सूना सूना रहता है घर
महौल बड़ा बेरंग लगे
देखू जब चीज़ें तेरी
दबे दबे अरमान जगे
बोल ना पाउ लफ्ज़ो में
गला मेरा रूंध जाए
तेरे दीद को…
जीवन के दिन ढल जाते हैं
रहती याद कहानी है
अक्सर याद रूला जाती है
जो बाकी तेरी निशानी है
यादो की कश्ती ये हमारी
झको से लहराये
तेरे दीद को…