दिसम्बर जनवरी में
धूप जाड़े की
कि जैसे
भीड़ भाड़े की ।
रात जाड़े की
कि ज्यों
मलखम अखाड़े की ।
हवा जाड़े की
कि ज्यों
कंबल कबाड़े की ।
पढ़ाई जाड़े का
कि ज्यों
कटु घूँट काढ़े की ।
नींद जाड़े की
कि ज्यों
पुस्तक पहाड़े की ।
धूप जाड़े की
कि जैसे
भीड़ भाड़े की ।
रात जाड़े की
कि ज्यों
मलखम अखाड़े की ।
हवा जाड़े की
कि ज्यों
कंबल कबाड़े की ।
पढ़ाई जाड़े का
कि ज्यों
कटु घूँट काढ़े की ।
नींद जाड़े की
कि ज्यों
पुस्तक पहाड़े की ।