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1 Mar 2017 · 1 min read

दिव्य प्रेम

आकर्षणमय प्यार कभी न रुकता, अतिशय शिथिल- दीन है।
सुविधाओं व संसर्गों से प्रकट नेह रोमांच हीन है।
प्रभु के प्रति अनुराग में, जितने निकट ,लगाव उतना उच्च।
“दिव्य प्रेम” में फीकापन न, नित जाग्रत, हर दम नवीन है।

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 1003 Views
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
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