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22 Aug 2022 · 4 min read

“दिव्य दर्शन देवभूमि का” ( यात्रा -संस्मरण )

डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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01 ,मई 2011 सुबह -सुबह मेरा मोबाईल बजने लगा ! मैंने उठाया तो मेरी पुत्री आभा ने दूसरे तरफ से कहा ,–
“ बाबू जी ,हमलोगों का प्लान बन गया हैं ! हमलोग अपनी गाड़ी से सुबह 05 बजे दिनांक 28 मई 2011 को रोहिणी ,नयी दिल्ली से चारों धाम के यात्रा पर चलेंगे ! हम चार और आप दोनों भी हमारे साथ चलेंगे ! दिल्ली का आप लोग दुमका से आरक्षण करबा लें अन्यथा कोई दिक्कत हो तो यही से हम करबा देंगे !”
इस सुनहरे अवसर को भला कौन छोड़ता है ? मैंने अपनी सहमति देते हुए कहा ,—-
“ नहीं ….नहीं यहाँ से दिल्ली के लिए आराम से आरक्षण हो जाएगा !”
दिल्ली से हरिद्वार
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24 मई 2011 को हम दोनों नयी दिल्ली पहुँच गए ! तैयारियाँ होने लगी ! 28 मई 2011 को हमलोगों को चलना था ! पहाड़ी क्षेत्र और ऊँचाई पर जाना था ! गर्म कपड़े और आवश्यक बस्तुओं का इंतजाम कर लिया ! ठीक 5 बजे ड्राइवर सरदार हरपाल सिंह INOVA CAR में बिठाकर हरिद्वार रवाना हो गया ! सबसे बड़े मेरे समधी श्री कृष्ण कान्त झा थे ! वे आगे बैठ गए ! हम दोनों सेकेंड सीट पर साथ में मेरा दोहित्र स्रोत झा, जो 7 वर्ष का था ,वह भी मेरे साथ बैठ गया ! रीयर सीट पर मेरे जमाई श्री राहुल झा और मेरी पुत्री आभा बैठ गयी !
हरिद्वार से बरकोट
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28 मई 2011 को हमलोग हरिद्वार पहुँच गए ! गंगा स्नान हरकि पौड़ी में किया ! 230 किलोमीटर के सफर के बाद HOTEL PARKVIEW में एक रात रुके ! संध्या समय हरकि पौड़ी में गंगा आरती देखने का अवसर मिला ! 29 मई प्रातः 6 बजे हरपाल ने अपनी कार में हमलोगों को ले चला बरकोट की तरफ ! बरकोट 220 किलोमीटर था ! देहरादून ,मसूरी और केंपटी फाल के दर्शन के बाद बरकोट के HOTEL CHAUHAN ANNEXE में रुका !
बरकोट से यमुनोत्री और वापस
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30 मई 2011 सुबह सारी तैयारी करके पहला तीर्थ प्रारंभ हो गया ! बैसे यमुनोत्री का सफर 36 किलोमीटर का था और पहाड़ी ट्रेक आना जाना मिलाकर 12 किलोमीटर ! अद्भुत और रोमांचक पर्वतीय सफर था ! लग रहा था स्वर्ग का दर्शन हो गया ! हरपाल टेप रीकॉर्डर से गुरुवाणी सुनता चला जा रहा था ! जानकीचट्टी हम सब उतर गए ! मैंने तो अपने लिए खच्चर लिया और कृष्णकान्त बाबू ने भी खच्चर लिया ! और सारे लोग पैदल ही पहुंचे ! पूजा अर्चना और गर्म कुंड में स्नान करके वापस बरकोट आ गए !
बरकोट से हरसिल
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31 मई 2011 को हम अद्भुत प्रकृति छटा का सुंदर घर हरसिल जो उत्तराखंड के भगरथी गंगा के 2620 मीटर समुद्रतल के सतह से ऊपर बसा हुआ था ! हरसिल के सौदर्य का आनंद लिया और वहाँ के सुंदर SHIVALIK HOTEL में एक रात गुजारी !
हरसिल से गंगोत्री और वापस उत्तरकाशी
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01 जून 2011 को सुबह हमलोग हरसिल से चल पड़े गंगोत्री की ओर ! यह मात्र 72 किलोमीटर था ! गंगोत्री मंदिर जो भागीरथी गंगा के किनारे था पूजा अर्चना की और वापस उत्तरकाशी लंबे सफर के बाद HOTEL SHIVLINGA में रात गुजारी !
उत्तरकाशी से गुप्तकाशी
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02 जून 2011 को हम गुप्तकाशी की ओर निकल पड़े ! यह सफर 220 किलोमीटर का था पर यहाँ का प्राकृतिक दृश्य का सौन्दर्य देख कर थकान मानो उड़नछू हो गए ! रास्ते भर हमलोगों ने खूब मनोरंजन किया ! पर धारसू के रास्ते में भूस्खलन हो गया था ! हमारी कार कुछ घंटे तक वाधित रही ! कुछ देर के बाद सब ठीक हो गया और देखते -देखते हमलोग गुप्तकाशी पहुँच गए ! यहाँ होटल नहीं स्नो टेंट लगा कर अद्भुत होटल बनाया गया था जिसे VIP NIRWANA CAMP नाम से जाना जाता था ! हमलोगों ने तीन टेंट ले रखा था !
गुप्तकाशी से केदार नाथ
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03 जून 2011 को सुबह CAMP को अलविदा कहकर निकल पड़े ! वैसे गुप्तकाशी से केदारनाथ का गौरी कुंड 30 किलोमीटर है ! फिर गौरीकुंड से पैदल खड़ी चड़ाई 14 किलोमीटर चलना पड़ता हैं ! केदारनाथ 3584 मीटर समुद्रतल से ऊपर है! यहाँ पर ऑक्सीजन की कमी है ! राहुल जी और मेरी पुत्री पैदल केदारनाथ पहुंची ! आशा डोली पे सवार हो के गयी ! हम तीन हेलिकोपटर से केदार नाथ पहुँचे ! पूजा अर्चना हमलोगों ने की ! रात HOTEL GAYATRI BHAVAN में रुकने का इंतजाम था ! केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है !
केदारनाथ से रुद्रप्रयाग
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04 जून 2011 को जिस तरह केदार नाथ पहुँचे थे उसी तरह वापस नीचे आए और फिर गुप्तकाशी होते हुए हमलोग रुद्रप्रयाग की ओर चल पड़े ! मंदाकिनी और अलकनंदा नदी के किनारे रुद्रप्रयाग बसा हुआ है ! वहाँ का MONAL RESORT में रहना मन भा गया !
रुद्रप्रयाग से बद्रीनाथ
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05 जून 2011 को हमलोग 165 किलोमीटर सफर तय करके बद्रीनाथ पहुँचे ! यह 3133 मीटर समुद्रतल से ऊपर है और नर- नारायण पर्वतों की शृंखलाएं बद्रीनाथ धाम के प्रहरी बने हुए हैं ! हमलोग HOTEL NARAYAN PALACE में ठहरे ! पूजा अर्चना हमलोगों ने किया ! दूसरे दिन सुबह -सुबह हमलोग MANA VILLAGE होकर गुजरे !
बद्रीनाथ से जोशीमठ /पिपलकोटी
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06 जून 2011 सुबह हमारी सबारी चल पड़ी जोशीमठ ! अद्भुत नजारा ,पहाड़ों से घिरा हुया और महापुरुषों का मठ चारों तरफ फैला हुआ था ! जगह -जगह आर्मी कैम्प ,शहर ,बाजार लगे थे ! ठीक 85 किलोमीटर पर पिपलकोटी में HOTEL LE MEADOWS में रुकना था ! जोशीमठ से सारी सुविधा उपलब्ध थी ! हरेक स्थान के लिए बस सर्विस का बंदोबस्त था !
पिपलकोटी से ऋषिकेश
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07 जून 2011 का दिन ऋषिकेश लौटने का था ! यह यात्रा 8 घंटे का था ! ड्राइवर हरपाल सिंह एक कुशल वाहान चालक सिद्ध हुआ ! उसने श्रीनगर और देवप्रयाग के बीच में हमलोगों को गुरुद्वारा ले गया ! वहाँ गुरुग्रंथ साहिब का दर्शन किया और लंगर का प्रसाद ग्रहण किया ! ऋषिकेश में भी 5 स्टार HOTEL NARAYANA का इंतजाम था ! श्रोत और राहुलजी तो स्विमिंग पूल का भरपूर आनंद लिया ! और दूसरे दिन चारों धाम का यात्रा समाप्त करके दिल्ली के तरफ रवाना हुए !
ऋषिकेश –हरिद्वार से दिल्ली
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08 जून 2011 के सुबह हमलोग हरिद्वार होते हुए दिल्ली के तरफ चल पड़े ! यह दूरी 250 किलोमीटर थी ! समय 7-8 घंटे लग जाएंगे ! हम सब हँसते -गाते अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे ! शाम हो चली थी ! दिल्ली की चहलकदमी और रोशनी की जगमगाहट ने एक विजय पर्व का एहसास दिलाया ! इस तरह चार धामों की दिव्य झलक देखने को मिलीं जो आजन्म स्मृति में घूमता रहेगा ! दिव्य देवभूमि को सदैव नमन !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस .पी .कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
22.08.2022

Language: Hindi
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