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23 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला अंक 32

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….
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अघासुर प्रकरण
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अजगर के अंदर हलचल जब ,देखी तो सब जान गए।

अजगर भेष अघासुर को ,कान्ह तुरत पहचान गए।

जाकर पकड़ा जबड़ा उसका ,संकट में जब प्राण भए।

मारा पल में दुष्ट अघासुर , आखिर सारे मान गए।

घुसकर उसके पेट के भीतर ,किया विस्तार … कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी ……63

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मरा अघासुर अब तो चर्चा ,चारो ओर कन्हैया की।

लेकिन नंद यशोदा को तो ,हर पल चिंता कन्हैया की।

आखिर कान्हा था तो बालक ,सो चिंता सहज कन्हैया की।

ओर उधर मथुरापति को भी,चिंता महज कन्हैया की।

जगतपति को लेकर होते ,सब परेशान.. कहाँ सम्भव…?

हे पूर्ण कला के अवतारी……64

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***********************
क्रमशः अगले अंक में
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कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 4 Comments · 371 Views
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