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22 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला (अंक 31)

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 31

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अघासुर प्रकरण

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चला अघासुर वृन्दावन में, जहँ पर गाय चराते थे।

बीच बीच मे गोप ग्वाल सब,थोड़ा सा सुस्ताते थे।

गायें चरती रहती वन में,यह खेलो में खो जाते थे।

कभी खेल थे साथ साथ तो ,कभी कभी छुप जाते थे।

अजगर बन कर मग में बैठा ,वह शैतान ….. कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी..तेरा यशगान ..कहाँ सम्भव?…61

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देखा गोप ग्वाल ने गायें , लेकिन नज़र नही आई।

अब तो ग्वालों को भी थोड़ी ,चिंता उनकी हो आई।

गए देखने जब गायों को ,तो उनकी शामत आई।

खाकर सब को अजगर ने ,अपनी क्षुधा मिटानी चाही।

अजगर ने सबको कर अंदर , भरी फुंकार … कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी..तेरा यशगान …कहाँ सम्भव..62

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क्रमशः –अगले अंक में
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कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
मधुसूदन गौतम
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 206 Views
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