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17 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला अंक 26

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 26
*****************************
वत्सासुर प्रकरण
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वत्सासुर भी सोच समझ बिन , दौड़ा आनन फानन में।

बात मानकर कंस दुष्ट की, जा पहुंचा वृंदावन में।

लगे हुए थे कृष्ण जहां पर ,बृज की गाय चरावन में।

गाय छोड़कर साथी संगी,बैठ गए सुस्तावन में।

ताड समय को वत्सासुर ने ,किया प्रयाण .. कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी….तेरा यशगान कहाँ सम्भव……….?51
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वत्सासुर ने रूप धरा फिर,एक धेनु के तनय का।

जा बैठा धेनु के झुंड में , हिस्सा थोड़े संसय का।

देखा आगन्तुक गायों ने, संचार हुआ विस्मय का।

लगी रँभाने बिना वक्त ही ,कारण था इस नव भय का।

सुनी पुकार कन्हैया ने जब, समझे तत्काल…कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी …….सम्भव?52

क्रमशः अगले अंक में
*
कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 504 Views
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