दिव्यमाला अंक 21
गतांक से आगे……
दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 21
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कहाँ चले ?फिर नंद राय जी ,लेकर के बालक किसना ।
बहुत पास है दूर नहीं है , वृंदावन जाकर बसना।
लल्ला भी निर्भय रह लेगा,हमको भी निर्भय रहना।
छोड़ दिया फिर गोकुल प्यारा,भर कर आँसू से नयना।
दौड़ दौड़ कर मिलते सबसे ,रखना ध्यान.. कहाँ सम्भव।।। 41
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चले कान्ह भी मात पिता सँ, त्याग दिया गोकुल प्यारा।
चन्द सखा ही साथ रहे बस, बाकी से होन पड़ा न्यारा।
आंखों से जमुना बहती थी ,डूबा गोकुल था सारा।
धन्य प्रभु तेरी लीला को ,क्या समझे ‘मधु’ अक्ल मारा।
इसी तरह दो ढाई वर्ष के ,हो आये भगवान..कहाँ सम्भव।
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा यशगान…कहाँ सम्भव ।।42
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क्रमशः अगले अंक में
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कलम घिसाई
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