दिवा स्वप्न
मैं भी किसी का ख़ास होऊं
मेरी भी किसी को ज़रूरत हो!
जैसे हुआ रांझे से हीर को
मुझसे भी किसी को मुहब्बत हो!!
दुनिया के शोरगुल से दूर
चांदनी रात की तनहाई में कहीं!
रूह को सुकून देने वाली
मेरी भी किसी से सोहबत हो!!
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)