दिवाली मनायें
दिवाली मनायें
दिवाली मनायें
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चलो यार मिलके दिवाली मनायें।
यहाँ से वहाँ से अँधेरा भगायें।
कहीँ से धरा खोद मिट्टी मँगाई।
मिली लीद गोबर हुई फिर छनाई।
जरा भी किसी को न आई दया है।
बिचारा तले पैर रौंधा गया है।
घुमाया गया चक्र पै ना खपा है
कुटा है पिटा है अवा में तपा है।
किया खूब संघर्ष ये याद लायें।
दिया की करें रोशनी जगमगायें
दिवाली मनायें दिवाली मनायें।
अकेला लड़े रात में पूर्ण तमसे।
डरेगा नहीं जोर जुल्मोसितम से।
जरा सा दिया जूझता आत्म दमसे।
नहीं कोइ चाहे मदद मीत हमसे ।
जलेगा अँधेरा भगाता रहेगा।
बुझे तो उजेला बुलाता रहेगा।
चलो प्रेम के दीप हम भी जलायें ।
दिवाली मनायें दिवाली मनायें।
रखो हौसला तो जमाना हिलेगा।
करोगे भला तो भला फल मिलेगा।
फटा कामना का वसन भी सिलेगा ।
डटो सत्य पथ में सुमन भी खिलेगा।
सदा राज धोखा कहाँ तक चलेगा।
खड़ा दंभ शासन हिमालय गलेगा।
निभा प्रेम सबको गले से लगायें ।
दिवाली मनायें दिवाली मनायें।
हमें राम की याद लाई दिवाली
मरा दुष्ट रावण मनाई दिवाली
हुई जीत सच की बताई दिवाली।
कराये बुराई सफाई दिवाली
गुरू को न भायी मिठाई दिवाली।
नहीं वो रहीं और आई दिवाली।
करें याद छन छन नयन नीर लायें।
दिवाली मनायें दिवाली मनायें।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
12/10/22