दिल है.नादाँ. समझ न पाया है
दिल है नादाँ समझ न पाया है।
अपना है कौन और पराया है।।
दीं खुशी हमने जिसे गम लेकर।
आज उसने ही दिल दुखाया है।।
इक्तिजांअब नहीं मुहब्बत की।
हर कदम पर फ़रेब पाया है।।
हमनें चश्मो चिराग समझा जिसे।
उसने ही आशियां जलाया है।।
दुश्मनों से तो लोग बचते हैं।
हमनें यारों से ज़ख्म खाया है।।
घाटा देखा न फायदा देखा।
मैंने रिश्तों को बस निभाया है।।
कैसे रिश्तों में हो यकीं “योगी”।
हर किसी ने ही आजमाया है