दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
नृत्य में गीत तुम गुनगुनाने लगी,
दिल हमारा तुम्हारा थिरकने लगा ।
हाथ लो हाथ में प्यार से ऐ सखी,
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा ।
लोचनों ने कहा कुछ बहुत प्यार से ,
एक दूजे मिले दिल मिले यार से।
चूमकर माथ जो फिर लजाने लगी,
दिल हमारा तुम्हारा बहकने लगा।
हाथ लो हाथ में प्यार से ऐ सखी,
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
दे रहा दिल तुम्हें प्यार की दस्तकें,
चूमता यह सदा प्यार की पुस्तकें।
प्यार के रंग में झूमने जो लगी ,
दिल हमारा तुम्हारा चहकने लगा।
हाथ लो हाथ में प्यार से ऐ सखी,
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
हमसफर चाहता मांगता जिंदगी,
कर सकेगा इबादत यही बंदगी।
दिल्लगी प्यार को जो समझने लगी,
दिल हमारा तुम्हारा बहकने लगा।
हाथ लो हाथ में प्यार से ऐ सखी,
दिल हमारा तुम्हारा धड़कने लगा।
–डॉ. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ‘प्रेम’