दिल हमारा टूटने पर क्या किसी को ग़म हुआ
दिल हमारा टूटने पर क्या किसी को ग़म हुआ
कौन रोया साथ अपने कौन कब मरहम हुआ।
हम बिना सुर-ताल ही हर राग को गाते रहे
रूह ने जब तार छेड़े हर जगह मातम हुआ।
हम हमारे साथ तन्हा चल रहे थे उम्र भर
एक साया छोड़ दे तो कौन फिर हमदम हुआ।
सोचता हूँ क्यूँ मुझे तुम याद अब भी आ रही
है पता मुझको कि अपना इश्क़ अब बेदम हुआ।
हाँ मुझे मरना पड़ेगा ख़ास बनने के लिए
मर गया कीड़ा तभी तो आज वो रेशम हुआ।
जॉनी अहमद ‘क़ैस’