दिल से बंधी दिल की तार
दिल से बंधी
दिल की तार
एक रोज जरूर टूटती है
टूटती नहीं तो
कमजोर पड़ती है
एक तरफ से नहीं तो
दूसरी तरफ से उखड़ती है
संगीत का कंपन नहीं
कभी कभी खौफ से
कपकपाती भी है
एक जिंदा लाश की तरह कभी
न रोती है और
न ही मुस्कुराती है
मुंह से उफ भी नहीं करती
रिश्ते के टूटते बंधन की मार को
एक कांच के चुभते टुकड़े के
दर्द की तरह ही
चुपचाप सहती जाती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001