दिल से दिल पलता रहेगा
प्रिय तू हो जहाँ भी, पर प्रणय दिल से दिल पलता रहेगा
मेरे जागृत अहसासों से तेरे अहसासों तक फलता रहेगा
तन मन की दूरी हो दूर , मेघ बूँदों सा खो अस्तित्व अपना
हावों भावों को दे परिणति , एक दूजे से हो मिलन का सपना
अधरों के द्वार से निकल , प्रेम अभिव्यक्ति करता रहेगा
प्रणय तेरा मेरा दिल से दिल ——-–—–
आँधी जब जज्बातों की चलती , अबलम्ब तुझको मै दूँगी
साथ तेरा न छूटे कभी , बस यह एक वचन तुम से लूँगी
नयनों के द्वार से दे संकेत , सुबहो शाम प्रेम पांति पढता रहेगा
प्रणय तेरा मेरा दिल से दिल ——-–—-