दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली
होली की हुड़दंग में, भूल न जाना प्रेम ।
विनती निज कर जोड़कर, करती कलम सप्रेम।।
करती कलम सप्रेम, होलिका बुआ न बनना।
अमर रंग प्रहलाद ,नेह को उर से चुनना ।।
कह “नायक” कविराय, बोलिए पिक-सम बोली ।
दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली ।।
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
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होली की हार्दिक शुभकामनाएं
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