दिल से दिल्लगी ना पूंछों?
यह दिल की लगी है दिल से दिल्लगी को ना पूंछो।
गर इश्क़ है खुदा तो हमसे इस बन्दगी को ना पूंछो।।1।।
शर्म-ओ-हया में ही ये औरतें यूँ तो अच्छी लगती है।
बिन आँचल के औरतों की हमसे शर्मिंदगी ना पूंछो।।2।।
जितनी भी बीती है अच्छी बीती है गिला क्या करें।
मरने वाले से यूँ उसकी गुज़री हुई ज़िन्दगी ना पूंछों।।3।।
वह तो काफ़िर है उनसे बात ना करना यूँ खुदा की।
दिल-ए-चाक करने वालों से दिल ए गंदगी ना पूंछो।।4।।
उसकी ज़रूरतें है बड़ी वह बात करेगा दौलत की।
किसी प्यासे से सेहरा में यूँ उसकी तिश्नगी ना पूंछों।।5।।
बड़ी ही दिक्कतों से उसको उसका प्यार मिला है।
इश्क को पानें वाले से कभी ख़ुशकिस्मती ना पूंछों।।6।।
ये हवा है बड़ी खराब अच्छे-अच्छे बिगड़ जाते है।
वो है मग़रिब उसे क्या पता उससे मश्रिकि ना पूंछों।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ