दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाॅंस मन धीर बना।
उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक, ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना।
रोमांच रोंगटे खड़े हुए,तन सुह्रद -रंगमय चमन हुआ।
अनुपम प्रहलाद-प्रीति गह दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
पं बृजेश कुमार नायक
जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाॅंस मन धीर बना।
उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक, ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना।
रोमांच रोंगटे खड़े हुए,तन सुह्रद -रंगमय चमन हुआ।
अनुपम प्रहलाद-प्रीति गह दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
पं बृजेश कुमार नायक