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20 Feb 2024 · 1 min read

दिल सचमुच आनंदी मीर बना।

जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाॅंस मन धीर बना।
उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक, ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना।
रोमांच रोंगटे खड़े हुए,तन सुह्रद -रंगमय चमन हुआ।
अनुपम प्रहलाद-प्रीति गह दिल सचमुच आनंदी मीर बना।

पं बृजेश कुमार नायक

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