दिल शीशे सा
दिल शीशे सा हम सबका होता हैं।
बस मुस्कुराती जिंदगी का सच कहता हैं।
तेरी मेरी चाहत में दिल शीशे सा होता हैं।
जिंदगी सांसों में बसा एक मंथन रहता हैं।
हां सच तो यही बस दिल शीशे सा होता हैं।
आरज़ू और हकीकत में अंतर कहता हैं।
दिल शीशे सा एक एतबार मन से होता हैं।
विश्वास तेरा मेरा प्यार भरा साथ कहता हैं।
आज आधुनिक समय में दिल शीशे सा हैं।
जीने मरने की सोच और वादा सा रखते हैं।
सोच समझ कर हम दिल शीशे सा न कहते हैं।
जज्बातों के समुद्र में हम सभी लम्हे रहते हैं।
तेरी यादों में दिल शीशे सा आज रहता हैं।
भूल गए हम तुझे यह आज भी धड़कता हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र