दिल लगाकर तो देखो
2122 2122 2122 212
यूँ न जाओ दूर अब तुम,दिल लगाकर तो देखो।
इश्क़ सच्चा है ये मेरा , आजमाकर तो देखो।
तुम क्यों रखती हो इतना अजब मुझसे फासला,
मैं नहीं कोई ज्वाला , पास आकर तो देखो।
तुम जो कहती हो नशे से दूर रहने को मुझे,
छोड़ दूँगा हर नशा, नैना मिलाकर तो देखो।
मैं बनाऊँगा अभी तेरे ही दिल में आशियाँ,
तुम मेरा दिल जाँ कभी,ऐसे चुराकर तो देखो।
बजने लग जाये बुझे दिल में सुरीली घंटियाँ,
तुम ज़रा मेरी तरफ,बस मुस्कुराकर तो देखो।
ये ख्वाबों की तमन्ना एक पल में हो पूरी,
अपने इस ‘विश्वासी’ को अपना बनाकर तो देखो।
—–विनय कुशवाहा ‘विश्वासी’