दिल रो पड़ा
******* दिल रो पड़ा *******
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देख कर तेरा हाल दिल रो पड़ा
है बिछाया ये जाल दिल रो पड़ा
हौसले ना जाने कहाँ खो गए
ना मिली कोई ढाल दिल रो पड़ा
नादानियों में खूब धोखे खाये
कैसा किया सवाल दिल रो पड़ा
आप तो कभी भी ऐसे तो ना थे
फिर ये कैसा बवाल दिल रो पड़ा
खामोशियों को कमजोरी समझा
बजाते ताल पे ताल दिल रो पड़ा
सुखविंद्र तिल तिल के मरता रहा
तनिक नहीं मलाल दिल रो पड़ा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)