दिल मे लगी आग है
दिल मे लगी आग है
*****************
दिल में लगी आग हैं,
प्रेम का छिड़ा राग है।
देख कर झूम उठा,
फलों से भरा बाग है।
मुख फुला चल दिये,
मुँह में भरी झाग है।
कोई न अंदर गया,
पहरेदार नाग है।
मनसीरत बहक गया,
मंडेर पे बैठा काग है।
*****************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)