दिल मेरा एक परिंदा
दिल मेरा एक परिंदा जो भरे ऊँची उड़ान,
दिल की बातें क्या कहूँ छूना चाहे आसमान।
क्यों न उड़ूँ ऊँचे गगन में क्यों न छूऊँ आसमान,
क्यों मैं रोकूँ इस दिल को भरने से ऊँची उड़ान।
माना कि पंख नाज़ुक हैं मेरे अभी,
इस दिल को घेरे हैं अँधेरे अभी।
मेरी कोशिश देगी इन पंखों को जान,
दिल इन अँधेरों में भी ढूँढ लेगा अपनी पहचान।
दिल मेरा एक परिंदा जो भरे ऊँची उड़ान,
दिल की बातें क्या कहूँ छूना चाहे आसमान।
सरिता शुक्ला