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1 Nov 2020 · 1 min read

दिल में उमड़े हैं उल्फ़त के जज़्बात फिर

दिल में उमड़े हैं उल्फ़त के जज़्बात फिर
आज आँखों से होती है बरसात फिर

रात भर एक दूजे की बाहों में थे
दिल को तड़पा रही आज वो रात फिर

डर था जिसका मुझे वो ही धमकी मिली
कह गया मुझसे क़ातिल वही बात फिर

आदमी की वफ़ा की मुहब्बत की क्या
देख ली उसकी नज़रों में औक़ात फिर

ज़िन्दगी ने दिये हंस के यूँ रंजोग़म
मिल गई मुझको जैसे है सौग़ात फिर

आज फिर कुछ निवाले नहीं मिल सके
मुफ़लिसी के वही आज हालात फिर

वो लुटा सा पिटा सा खड़ा सामने
उसकी आँखों में देखे सवालात फिर

हर जगह आज पहुंची है शहरी हवा
अब कहीं न मिलेंगे वो देहात फिर

फिर किसी रोज़ यूँ ही सफ़र में कभी
तुझसे ‘आनन्द’ होगी मुलाकात फिर

स्वरचित
डॉ आनन्द किशोर

7 Likes · 246 Views
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