Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2022 · 1 min read

दिल में आने लगे हैं

वो जबसे ख्वाबों में आने लगे हैं
और भी अब सताने लगे हैं
पहले तो डरते थे बात करने से भी
अब दिन दहाड़े बुलाने लगे हैं

मैं तो कुछ कह पाता नहीं
वो जाते ही याद आने लगे हैं
जानते है नहीं वो शायद
हम उनसे दिल लगाने लगे हैं

कैसे कहूं उनसे मैं ये अब
दूर रहकर मुझसे वो रुलाने लगे हैं
उनको फर्क पड़ता नहीं
क्यों हम उनसे दिल लगाने लगे हैं

है प्यार उनको भी हमसे
या हमको यूं ही सताने लगे हैं
कोई पूछ लो उनसे ये
जो हमारे दिल को जलाने लगे हैं

महफिल में बैठते हैं साथ
अकेले में दिल चुराने लगे हैं
ये क्या हो गया है इनको
पानी में आग लगाने लगे हैं

दीवानगी बढ़ रही मेरी
जो वो मेरे करीब आने लगे हैं
है नहीं कोई शिकन उनपर
वो तो मुस्कुराकर जाने लगे हैं

कह दे वो भी कभी मुझसे
मुझे अपने दिल में बसाने लगे हैं
याद करते हैं वो हमें भी
हम भी उनके सपनों में आने लगे हैं।

Language: Hindi
8 Likes · 3 Comments · 1069 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
Rj Anand Prajapati
वासना और करुणा
वासना और करुणा
मनोज कर्ण
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां  ,
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
Neelofar Khan
My cat
My cat
Otteri Selvakumar
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
Jogendar singh
सुन्दरता।
सुन्दरता।
Anil Mishra Prahari
"अतिथि "
Dr. Kishan tandon kranti
*आम (बाल कविता)*
*आम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
*प्रणय*
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मुझ जैसे शख्स को दिल दे बैठी हो,
मुझ जैसे शख्स को दिल दे बैठी हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
यह मत
यह मत
Santosh Shrivastava
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
Manisha Manjari
हमनें कर रखें थे, एहतराम सारे
हमनें कर रखें थे, एहतराम सारे
Keshav kishor Kumar
कामवासना
कामवासना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
Ravikesh Jha
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
जोड़ियाँ
जोड़ियाँ
SURYA PRAKASH SHARMA
चंचल मन
चंचल मन
Dinesh Kumar Gangwar
जासूस दोस्त
जासूस दोस्त
Kshma Urmila
इश्क
इश्क
SUNIL kumar
ज़िन्दगी को समझते
ज़िन्दगी को समझते
Dr fauzia Naseem shad
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दोहा सप्तक. . . . शिक्षा
दोहा सप्तक. . . . शिक्षा
sushil sarna
जो सिर्फ़ दिल की सुनते हैं
जो सिर्फ़ दिल की सुनते हैं
Sonam Puneet Dubey
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
manorath maharaj
Loading...