दिल में आज तन्हाई है
दिल में आज तन्हाई है
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दिल मे आज तन्हाई है,
खुद से दूर परछाई है।
उठती पीर बरसाती है,
सीने आग बरसाई है।
जाने कौन है भावों को
बातों बीच गहराई है।
आंखों में नमी है आई,
चलती वायु पुरवाई है।
मनसीरत सितारे हर्दिश,
छाई खूब रुसवाई है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)