दिल भी घुंघरू
काश दिल भी घुंघरू होता,
टुटा तो आवाज होती।
बेटी की चीख पुकार,
किसी राहगी को सुनाई होती।।
ऐसे डर-डर कर जिन्दगी से,
उनकी मौत ही अच्छी होती।
मरने उपरांत भी पत्थर मारे,
किसी की आँख कैसे बंद होगी।।
महाभारत में अभिमन्यु के शव को
लात मारने वाले जयद्रत की याद आई होगी।
सूर्यास्त तक जयद्रत की गर्दन उड़ाइ
साहिल पर रहम क्यों किसी को आई होगी।।
कुछ पंक्तियों की विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ