***दिल बहुत दुखी हुआ ***
तुम जो गुजर गए हो, दिल तो हमारा भी रोता है
तुम्हारी मासूमियत पर यह दिल सच बहुत रोता है
तुम्हारे देश की दहशतगर्दी ने विराना सा माहोल बना रखा था
उसी माहोल ने इतना नरसंहार, बड़ा भयानक बना रखा था !!
आंतकवाद की जड़ों को सींचता है, जब कोई भी देश
बस उस में मारा जाता है हर इक निर्दोष
आतकंवाद की न कोई जात है , न ही कोई मजहब
तुम्हारे सोते हुए जिस्म को देखकर, मौन रहें कब तक ??
मौत तो आनी है, उस को कोई नहीं रोक सकता
पर जैसे तुम्हारी आयी है, देख कर सच बड़ा दिल रोता
कब होगा इस आतकंवाद का खात्मा बहुत दहशत है
कब मिलेगा सकून सारे विश्व को, सच बहुत दहशत है !!
हम सब बेबस हैं, बस दुआ कर सकते हैं और कुछ नहीं
वापिस ला नहीं सकते उस परवर दिगार के घर से
आंसू की बौछार से दामन भीगता जा रहा है, कैसे कहें
आज ऐसा लगा जैसे परिवार का बच्चा गुजर गया, कैसे कहें ??
अजीत कुमार तलवार
तलवार