दिल पढ़ो
हम सब बातें बड़ी बड़ी करते और लिखतें है,
इश्क़, तन्हाई, वफ़ा और आँसू को कोसते रहते है,
तालाब का ठहराव, समुद्र में उठाव, झरने का गिरना,
फूलों का ख़ुशबू से फ़िज़ा महकाना क्या हम जानते है,
हम तो विभिन्न रंगों के पत्थरों की फ़ितरत नहीं जानते है,
क्या हमनें आज तक किसी के भावों को समझा है,
स्वार्थ से परे हटके किसी की उलझनों को समझा है,
समझ समझ की बात है समझ सको तो समझना है,
ग़र पढ़ सको तो किसी के मन को पढ़ो इश्क़ तो वहीं हैं।।
मुकेश पाटोदिया”सुर