दिल पर साजे बस हिन्दी भाषा
हर हर हर जन बोले हिन्दी
देश प्रेम की कडी है हिन्दी
भारत की अनेक भाषा नदियो मे
हिन्दी है एक महा नदी
मीठी मीठी लागे भाषा
स्नेह प्रीत मे रची बसी
मान सम्मान का हो आव्हान
या रिश्तो का हो सम्बोधन
सबके लिए अलग नाम सुहाता
गरिमा जिसमे रची बसी
वर्ण सजे सब विज्ञान समेटे
कण्ठय, ताल्वय, ओष्ठय, दन्तय जैसे
ध्वनि भाव सही अभिव्यक्ति है पाता
संप्रेषण सही सहज हो जाता
संस्कार, संस्कृति और मूल्य जीवन के
पीढ़ी से पीढ़ी सुगम हो समेटे
सेतु बनी है प्राचीन ज्ञान का
मानव विकास को ये पथ देदे
बीत गए सात दशक पाए आजादी
कट ना पाई बेडी विदेशी भाषा की गुलामी
राजभाषा का पाए है दर्जा
स्वीकार मे फिर भी है पर्दा
सीखे बेशक एकाधिक भाषा
दिल पर साजे बस हिन्दी भाषा
दिल पर साजे बस हिन्दी भाषा
संदीप पाण्डे अजमेर