दिल तो बच्चा जी
दिल तो बच्चा है जी
बालदिवस पर लगे बुजुर्गों के पुरजोर ठहाके
मन बालपन में,अतीत की गलियों में झाँके
खिले गात,बिन दाँत, इठलात अल्हड़पन सा
आह्लाद,किलक निनाद,निश्छल लड़कपन सा
मन मस्त मगन,धारे सिर पर बहुरंगी टोपियाँ
ऐनक लगाकर ढूंढ रहे शायद अपनी गोपियाँ
फिर कोई कहकहा लगा इन मस्तों की टोली में
आओ एक छायाचित्र भी ले लो संग हमजोली के
चौथे पहर का ये बांकपन तो बड़ा अच्छा है जी
हास्यासन में निरत बुजुर्ग,दिल तो बच्चा है जी।
-©नवल किशोर सिंह