दिल डरता है..
तुम करीब हो फिर भी,
अनजाना सा इक डर साथ चलता है,
जहन में तुझ से अचानक,
बिछड़ जाने का ख्याल पलता है,
कहीं ऐसा न हो वक़्त,
ले हमारा इम्तिहान,
वक़्त भी तो इंसान को छलता है,
सच हो जाए सारे भरम,
सोच कर ही दिल डरता है,
हाथ छूटे हाथों से यूँ,
कि रह जाए एक स्तब्ध और निशब्द,
जब इक अनजानी डोर से बंधा,
इंसान कठपुतली की भाँति, चलता है,
तो अचानक यूँ बिछड़ने से दिल डरता है,
दिल डरता है…..