दिल टूटा तो दर्द हुआ है
तू अपने आप पे इतना गुरूर मत कर,
जा तेरे बिना जीना सीख लेंगे हम ।
जब तुम्हें प्यार ही नहीं है मुझसे तो,
तेरा इंतजार कबतक करेंगे हम ।।
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
पर तेरा मेरा साथ अब कभी हो नहीं सकता ।
बातें होंगी मुलाकातें होंगी सबको पता है,
पर अब कभी प्यार वाला जज्बात नहीं हो सकता ।।
चौदह साल वनवासी राम का,
क्या कभी सीतमिलन भी हो पाया ।
जब वनवास बाद राम द्वारे आयी,
तब क्या सीता राम को पायी ।।
इस समयचक्र के खेल में फँसकर दोनों,
सीता वसुंधरा की छाती में समर्पित हुई ।
तो दूजा कुछेक दिनों बाद वनवासी राम भी,
सरयू नदी को समर्पित हुआ ।।
अरे यार तू जा जहाँ जाना चाहती है जा,
मैं खुद को बदनाम कर लूँगा, बर्बाद कर लूँगा,
पर तुझे बदनाम होने नहीं दूँगा ।
प्यार क्या होता है, ये तुम्हें क्या पता,
कैसे पता होगा, जब तूने कभी किसी से किया ही नहीं ।
प्यार तो मैंने किया है तुझसे, उनसे, खुद से, इन सबसे,
लेकिन मुझे क्या पता था कि ये मेरा एकतरफा प्यार है । लेकिन जा वचन है मेरा तुझसे,
मैं तेरा नाम खराब होने नहीं दूँगा, नहीं होने दूँगा ।।
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
दिल टूटा तो दर्द हुआ है , बस वही ब्याँ किया यारो ।।
हमारी लिखावट को कभी दिल पर मत लेना तुम सब ।
मैं तो यूँ ही बचपन से बदनाम, आवारा, पागल, दीवाना हूँ यारो ।।
पर एकबात याद रखना हमारी, तुम भुलना मत इसे,
जो तुम्हें रोता छोड़कर बड़े मौज से सो सकता है न ।
वो कभी भी पूरे तन मन से अपने दिल से तेरा हो नहीं सकता है ।।
अगर ऐसा है मेरे भाई तो ये तेरा भ्रम है ।
कि उसको तुमसे मोहब्बत है ।।
कोई मोहब्बत नहीं है उसे तुझसे, कल सुबह उसकी आँखों में आँसू है भी ।
तो समझ लेना वो केवल एक दिखावा है, फरेब है, फिर से जाल बिछाने की एक नई तैयारी है।।
लेखक :- डॉ० मनमोहन कृष्ण
तारीख :- 05/07/2024
समय :- 08 : 42 (सुबह)